Monday, January 10, 2011

21 दिसंबर और वही मोबाइल नंबर

मुझे जब से याद है मैं एक ही लड़की से प्यार करता था। पहला और सच्चा प्यार, ये प्यार बड़ा 'खतरनाक' तरह का होता है। शायद इसका असर जि़ंदगी भर के लिए रह जाता है। मुझे स्कूल के समय से ही वो पसंद थी और वो भी मुझे पसंद करती थी। स्कूल में पढ़ने के दौरान ही हम दोनों ने अलग-अलग स्कूल में एडमिशन ने लिया और हम अलग हो गए। 5-6 साल तक हमारे बीच कोई संपर्क नहीं रहा पर मेरे अंदर का प्यार वैसे ही रहा।
जब हम 12वीं में थे एक ही ट्यूशन में पढ़ने पहुंचे। मैंने लंबे समय बाद उसे देखा। 8-9 महिनें साथ ट्यूशन पढ़ने के बाद भी हमने कभी बात नहीं की। हालांकि मैंने उसे उसके बर्थडे पर गिफ्ट दिया और हाथ मिलाया। पहली और आखिरी बार उसे छुआ। 12वीं पास होने के बाद वो इंजीनियरिंग करने भोपाल चली गई और मैं मास कम्यूनिकेशन करने इंदौर चला गया।

एक दिन उसका फोन मेरे मोबाइल पर आया, हमारी काफी बातें हुई। बातों का सिलसिला बहुत बढ़ गया, अब हम घंटों फोन पर बतियाने थे। उसने बताया कि वो भी मुझे पसंद करती थी पर कभी कह नहीं पाई। मैंने भी अपने दिल की सारी बातें उसे बताई। मैंने उसे प्यार का प्रस्ताव दिया उसने कभी ना नहीं कहा पर कभी हां भी नहीं कहा। उसका कोई स्पष्ट जवाब न मिलते देख मैंने अब इसे दोस्ती तक ही सीमित रहने दिया।

इसके बाद कई बार फोन पर बातें हुई। उसके बर्थडे पर मिलने भोपाल गया जहां हमने साथ लंच किया और मैंने गिफ्ट दिया। फिर उसके बारे में मुझे मेरे दोस्तों से कुछ बातें पता चली। एक दिन मैंने उसे फोन पर कुछ बातें कह दिया और तब से हम दोनों की बीच बात बंद हो गई। उसका नंबर भी बदल गया। मैंने उसे ऑर्कुट-फेसबुक पर भी ढूंढ़ा पर वो ना मिली। हालांकि मैं उसका मोबाइल नंबर पता कर सकता था पर मैंने जानबूझ कर ही एैसा करने की कोशिश नहीं की। क्योंकि मेरा तो आज भी वही मोबाइल नंबर चालू है जिस पर हम घंटों बातें करते थे..।

बात हुए 3 साल हो चुके है पर ये 3 साल एक दशक की तरह लगते है। मैं कहीं न कहीं उसे आज भी 'प्यार' करता हूं। 21 दिसंबर को उसका बर्थडे हमेशा याद रहता है..।

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