Friday, November 30, 2012

गौहर महल ‘पॉटर्स मार्केट’ : माटी पर इठलाते ‘शब्दों’ की कहानी


भोपाल . ‘कुछ रंग हुए बदरंग, जड़ इतने कि चट्टान...’ किसी कवि की कविता की ये पंक्तियां लिखी हैं स्कल्पचर आर्टिस्ट निर्मला शर्मा की बनाई हुई पॉट में। वे गुरुवार से गौहर महल में शुरू हुए ‘पॉटर्स मार्केट’ पर अपनी कृतियों के साथ आई हैं। सिटी की आर्टिस्ट निर्मला कहती हैं, ‘मैं अपनी कृतियों में अक्सर कुछ चुनी हुई कविताओं के अंश लिखती हूं। ऐसा करने से उन्हें चैन की नींद आने लगी थी। ...और ऐसा मैं तब से कर रही हूं, जबसे कविताएं मेरे कवि पति को उनके सपने में तंग करने लगीं। सपने में वो कविता जिसमें कुछ हाथ नजर आते थे और उन्हें अपने कैप्टन बेटे के कश्मीर में शहादत की याद दिलाते थे। आज मेरे पति जितेंद्र कुमार को गुजरे 7 साल हो चुके हैं लेकिन मैंने पॉट पर कविताएं लिखना जारी रखा है। मिट्टी के पॉट बनाकर उन पर कविताएं लिखना मेरे लिए शहीद बेटे और पति की याद को मिट्टी में खोजने जैसा ही है।’ निर्मला ने आगे बताया, मेरा बेटा कैप्टन देवाशीष शर्मा कश्मीर में 10 दिसंबर 1994 को ऑपरेशन ‘रक्षक’ के दौरान शहीद हुआ था।

बेटे के लिए मां की ख्वाहिश ‘एक दिन मिट जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल...’ गीत मानो निर्मला के इन ‘कविता-पॉट्स’ को चरितार्थ करता है। ये पॉट वे महज हजार रुपए में लोगों को सौंप देती हैं। हालांकि वे कहती हैं, ‘काश, ये पॉट्स कम-से-कम बिकें।’ ताकि वे इन पॉट्स को आपने शहीद बेटे की याद में खुद की ओर आयोजित होने वाले ‘आकाश सुकुमार’ में प्रदर्शित करना चाहती हैं। ये आयोजन 7 दिसंबर से सैनिक विश्राम घर में होगा, जिसमें वे हर साल की तरह अपनी कृतियां प्रदर्शित करेंगी। ...और इससे प्राप्त राशि को वे ‘सैनिक कल्याण कोष’ में दान कर देंगी। निर्मला और उनके जैसे 30 से अधिक कलाकार इस आयोजन में अपनी कला की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। हर कृति अपनी और उन्हें गढऩे वाले की ऐसी ही एक कहानी प्रदर्शित करती सी प्रतीत होती है। यहां ‘आरुषि’, ‘मुस्कान’ और ‘नींव’ संस्था के बच्चों ने भी स्टॉल्स लगाए हैं।

 क्रिएटिव माइंड वर्सेस थिंकिंग माइंड यहां आई दुबई से आईं भारतीय मूल की सलमा मनेक्या कहती हैं, ‘मैंने यहां पिछले साल भी पार्टिसिपेट करती हूं। मेरे गले में इंजरी है, डॉक्टर एडवाइज देते हैं कि क्ले बनाना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। लेकिन इस आर्ट का मेरे लिए कोई एंड नहीं है।’ सलमा ने कई एब्सट्रैक्ट क्ले भी बनाए हैं। उन्होंने इंसानी दिमाग के आधे हिस्से के ‘क्रिएटिव माइंड’ के मुकाबले आधे हिस्से के ‘थिंकिंग माइंड’ को दिखाया है। वहीं, करप्शन पर चोट करते क्ले ‘द पॉवर ऑफ करप्शन’ में सिक्के से बंद कहिला का मुंह और आंखों पर पट्टी दिखाई है

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