बेटे के लिए मां की ख्वाहिश ‘एक दिन मिट जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल...’ गीत मानो निर्मला के इन ‘कविता-पॉट्स’ को चरितार्थ करता है। ये पॉट वे महज हजार रुपए में लोगों को सौंप देती हैं। हालांकि वे कहती हैं, ‘काश, ये पॉट्स कम-से-कम बिकें।’ ताकि वे इन पॉट्स को आपने शहीद बेटे की याद में खुद की ओर आयोजित होने वाले ‘आकाश सुकुमार’ में प्रदर्शित करना चाहती हैं। ये आयोजन 7 दिसंबर से सैनिक विश्राम घर में होगा, जिसमें वे हर साल की तरह अपनी कृतियां प्रदर्शित करेंगी। ...और इससे प्राप्त राशि को वे ‘सैनिक कल्याण कोष’ में दान कर देंगी। निर्मला और उनके जैसे 30 से अधिक कलाकार इस आयोजन में अपनी कला की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। हर कृति अपनी और उन्हें गढऩे वाले की ऐसी ही एक कहानी प्रदर्शित करती सी प्रतीत होती है। यहां ‘आरुषि’, ‘मुस्कान’ और ‘नींव’ संस्था के बच्चों ने भी स्टॉल्स लगाए हैं।
क्रिएटिव माइंड वर्सेस थिंकिंग माइंड यहां आई दुबई से आईं भारतीय मूल की सलमा मनेक्या कहती हैं, ‘मैंने यहां पिछले साल भी पार्टिसिपेट करती हूं। मेरे गले में इंजरी है, डॉक्टर एडवाइज देते हैं कि क्ले बनाना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। लेकिन इस आर्ट का मेरे लिए कोई एंड नहीं है।’ सलमा ने कई एब्सट्रैक्ट क्ले भी बनाए हैं। उन्होंने इंसानी दिमाग के आधे हिस्से के ‘क्रिएटिव माइंड’ के मुकाबले आधे हिस्से के ‘थिंकिंग माइंड’ को दिखाया है। वहीं, करप्शन पर चोट करते क्ले ‘द पॉवर ऑफ करप्शन’ में सिक्के से बंद कहिला का मुंह और आंखों पर पट्टी दिखाई है
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