Journalist by nature. Occasional FBवाला writer, rarely photographer, 6 day designer & one day Bachelor.
Sunday, February 26, 2012
Saturday, February 25, 2012
Friday, February 24, 2012
कवि गोपालदास 'नीरज' से रूबरू... 'तन रोगी मन भोगी मेरी आत्मा योगी रे'
'कविता मैं नहीं लिखता वो तो भीतर से कोई लिख जाता है, गीत स्वयं शब्दों में उतर आते हैं। मैं बहुत पढ़ता हूं, मनन करता हूं। यही इस उम्र में भी मेरी तेज याददाश्त का राज है।' यह कहना है 88 वर्षीय पद्मभूषण गीतकार, कवि गोपालदास नीरज का। मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सम्मान समारोह में शिरकत करने शहर आए 'नीरज' से सिटी भास्कर की विशेष बातचीत के अंश... 'लिखे जो खत तुझे...', 'ऐ भाई जरा देख के चलो...', 'फूलों के रंग से...', जैसे कई दिलकश गीतों के रचयिता 'नीरज' ने कहा, मुझे भी हमेशा विवादास्पद माना गया, कोई मुझे निराशावादी समझता है, कोई भोगवादी तो कोई सुरवादी। मैंने लिखा, 'हम तो इतने बदनाम हुए इस जमाने में यारों सदियां लग जाएंगी हमें भुलाने में..।' (हंसते हुए) फिर जो विवादास्पद होता है वही लोकप्रिय होता है। मैं कवि त्रिमुखी पीड़ा का : मैं त्रिमुखी पीड़ा का कवि हूं। शरीर की पीड़ा रोगी रहने के कारण मैंने भोगी। तन रोगी रहा बचपन से। जब भूख लगती थी तो खाने के लिए पैसा नहीं था और जब पैसा हुआ तो भूख खत्म हो गई। प्रेम की पीड़ा भोगी। जिससे प्रेम किया वो मिला नहीं, वो मिले जिनसे प्रेम नहीं हो सका। तीसरे अकेलेपन के कारण अपने भीतर प्रवेश किया तो आत्मा की एकांतता का पता चला। मैंने कहा 'तन रोगी, मन भोगी मेरी आत्मा योगी रे..।' यानी त्रिमुखी पीड़ा, शरीर की पीड़ा, मानसिक पीड़ा व आत्मा की पीड़ा का कवि कहो।लोकप्रियता भागी मेरे पीछे-पीछे मैं ये मानता हूं कि बिना कष्ट उठाए बिना संघर्ष किए कोई भी मंजिल प्राप्त नहीं होती। बचपन में मेरे पिता की मृत्यु हो गई। तभी से मेरा संघर्ष शुरू हो गया। तभी से दूसरे के घर रहने के लिए चला गया। 10 साल वहां रहा। सो अकेलापन रहा, तो अंतर्मुखी हो गया। अंतर्मुखी होने पर एक दिन अपने आप कविता फूट गई। कविता लिखना शुरू कर दिया। मैंने गाते सुना कवि सम्मेलन में, मुझे लगा कि इससे अच्छा तो मैं गा लेता हूं। मैंने गाना शुरू कर दिया और लोकप्रिय होने लगा। लोकप्रियता तो मेरे पीछे-पीछे भागती रही। हरिवंशराय बच्चन की 'निशा निमंत्रण' पढ़कर मैंने कविता लिखनी शुरू की। उनसे ही मैंने प्रेरणा ली थी। लिखता हूं शुद्ध कविताएं मैं तो शुद्ध कविता लिखता हूं। शुद्ध कविता में जीवन के बहुत से आयाम आते हैं। कहीं आशा है, कहीं निराशा भी..., जीवन है तो मृत्यु भी..., कहीं जय, कहीं पराजय है, कहीं सुख है तो कहीं दुख है..। संसार का रूप ही द्वंद्वमय है। शेक्सपियर से एक बार किसी ने पूछा कि आप ट्रेजडी के साथ कॉमेडी क्यों लिखते हैं? तो उन्होंने कहा, 'आई वांट टू होल्ड मिरर अप टू दी नेचर।' इसमें ट्रेजडी भी है और कॉमेडी भी। अर्थ जीवन का उद्देश्य नहीं ग्लोबलाइजेशन के युग में कविताएं भी ग्लोबल हो रही हैं। इस युग में अर्थ भी जरूरी है। पर यह जीवन का माध्यम है लेकिन उद्देश्य नहीं हो सकता। अर्थ जरूरी है पर अर्थ के पीछे पागल होकर दौडऩा मूर्खता है। एसडी बर्मन मैलोडी किंग एसडी बर्मन के साथ मैंने काम किया था। शंकर जय किशन, रोशन, मदन मोहन से भी जुड़ा रहा। पर एसडी बर्मन साहब ने जिस तरह मेरे गीत बनाए वैसा किसी और ने किया हो, मुझे लगता नहीं। वो नए-नए प्रयोग करते थे। मैंने भी नए-नए प्रयोग किए भाषा के। मुझे अपना सबसे ज्यादा पसंद है गीत 'फूलों के रंग से, दिल की कलम से...'। इसकी विशेषता ये है कि इसमें अंतरा पहले है मुखड़ा बाद में। ये एक एक्सपेरिमेंटल गीत था। एसडी बर्मन मैलोडी किंग थे। सहज के लिए भाषा सहज मेरी भाषा के प्रति लोगों की शिकायत रही कि न तो वह हिंदी है और न उर्दू। उनकी यह शिकायत सही है और इसका कारण यह है कि मेरे काव्य का जो विषय 'मानव प्रेम' है उसकी भाषा भी इन दोनों में से कोई नहीं है। हृदय में प्रेम सहज ही अंकुरित होता है और वह जीवन में सहज ही हमें मिलता है। जो सहज है उसके लिए सहज भाषा ही अपेक्षित है।
'पुण्य देवता, पाप पशु प्रेम बनाता है आदमी'
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Thursday, February 23, 2012
Wednesday, February 22, 2012
Monday, February 20, 2012
नाटक 'मोहे पिया'- योद्धाओं के शौर्य की दास्तान
भारत भवन की 30वीं वर्षगांठ समारोह की आखिरी शाम नाटक 'मोहे पिया' का मंचन
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संबंधों और सत्ता की राजनीति : 'मोहे पिया' नाटक आर्य-अनार्थ और स्त्री-पुरुष के बीच के भेद और संबंधों की राजनीति के साथ, सत्ता की राजनीति की नई व्याख्या प्रस्तुत करता है। भीम और घटोत्कच उस समय वन में मिल जाते हैं, जब घटोत्कच की मां हिडिंबा पुत्र को भक्षण के लिए एक मानव ले आने का आदेश देती है। घटोत्कच एक ब्राह्मण परिवार के मंझले पुत्र को धर लेता है। यह मंझोला पुत्र भीम की शरण में जाता है और भीम स्वयं घटोत्कच की मां के लिए आहार बनना स्वीकार करता है, लेकिन वह इसके लिए पराक्रम परीक्षा की मांग करता है। इसे जीतकर घटोत्कच, भीम को मां के आहार के लिए पेश कर देता है। हिडिंबा पति भीम को पहचान लेती है। यहां संबंधों व सत्ता की राजनीति जीतती है, भीम घटोत्कच को युद्ध में शामिल होने के लिए प्रलोभित कर लेता है। सत्ता के चौसर पर घटोत्कच का किरदार संजय शेजवाल के अभिनय के शौर्य से काफी जंचा। भीम रूप में सुहास सूर्यवंशी ने उसकी गाथाओं के साथ न्याय कर मंच पर कमाल दिखाया। हिडिंबा के किरदार में वागेश्री जोशीराव ने मां के भावों की उम्दा अभिव्यक्ति की। संगीत निर्देशन भी नाटक के निर्देशक प्रो. केंद्रे ने ही नाम था जिसे प्रशांत कदम, अभिषेक और प्राची कथले ने प्रस्तुति प्रवाह दिया। इस मौके पर निर्मात्री गौरी केंद्रे की उपस्थिति भी रही। |
Sunday, February 19, 2012
भारत भवन भोपाल की 30वीं सालगिरह पर पद्मश्री पं. उल्हास कशालकर का गायन और मोहम्मद सरोवर हुसैन का सारंगी वादन
KBC5 पंचकोटि महा-मनी सुशील कुमार ने ये किया पैसों का...
'सुशील बाबू का हाल बा...?
कौन बनेगा करोड़पति-५ में ५ करोड़ रुपए जीतने वाले एकमात्र विनर सुशील कुमार शनिवार को भोपाल आए। उन्होंने सिटी भास्कर से खास बातचीत में जीतने के बाद सपनेंवाली जिंदगी जीने के पहलू सांझा किए।
अमित पाठे . भोपाल
पांच करोड़ी सुशील, जैसा हमने उन्हें केबीसी-५ में देखा था आज भी बिल्कुल वैसे ही। वे शनिवार को एक सामाजिक कार्यक्रम में शिरकत करने इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन से भोपाल आएं। वही अंदाज, हेयरस्टाइल और ड्रेसिंग। फॉर्मल स्काई ब्लू शर्ट पर हाफ स्लीव स्वैटर और ब्लैक ट्राउजर। और सबसे खास उनका वही हसमुख चेहरा और डाउन-टू-अर्थ मिलनसार व्यवहार। केबीसी-५ में ५,००,००,००० रुपए जीतने वाले व्यक्ति से जब कार्यक्रम में कोई अपरिचित कहता है- 'का हो सुशील बाबू का हाल बा...' (क्या सुशील बाबू क्या हाल है) तो करोड़पति और मनरेगा के ब्रांड ए बेसडर सुशील खिलखिला कर जवाब देते हैं- 'ठीक बानू' (ठीक है)। सुशील और उनकी जिंदगी में कोई बदलाव आए भी है? आइए जानते हैं-
केबीसी में 'पंचकोटि महामनी' बनने के बाद सपने को जीना कैसा लग रहा है? (पांच करोड़ संस्कृत में पंचकोटि)
जवाब- ये सपनें में जीने की तरह है। इतनी तकलीफों, संघर्षों, हार आदि के बाद ये मुकाम पाना ईश्वर के सहयोग से ही संभव हुआ।
केबीसी में पांच करोड़ जीतने और बिग बी से मिलने में तुलना?
जवाब- बिग बी से मिलना तो हर किसी का सपना होता है मैंने उन पलों को भरपूर दिल से जिया है। पांच करोड़, बिग बी से मुलाकात से किसी तरह ज्यादा नहीं है।
केबीसी में जाने से पहले क्या कुछ सोच रखा था?
जवाब- नहीं, कुछ भी नहीं सोचा था। २५ लाख की उ मीद थी लेकिन ५० लाख से उपर की सोच ही नहीं थी। जीतने के ४५ दिन बाद लगभग १.५ करोड़ कटने के बाद सारा प्राइज मनी मिल गया।
जीतने के बाद अपना कौन सा ड्रीम पूरा किया?
जवाब- मेरा घर बहुत टूटा-फूटा था उसकी मर मत करवाई। इसके बाद मोतिहारी में २५ लाख रुपए की जमीन खरीदी। रकम का बड़ा हिस्सा अपने माता-पिता के नाम जमा करवा दिया। घर के किसी सदस्य और पत्नि ने कोई विशेष मांग नहीं की। मैंने भी अपने लिए कुछ नहीं खरीदा। मेरी पगार चार अंकों में ६००० रुपए थी इसलिए हर बार जीतने के बाद चैक में जीरो गिन रहा था।
मिडिल क्लास के आइडल के नाते क्या मैसेज देंगे?
जवाब- दिखावा करना मुझे पसंद नहीं है, मैं हाई सोसायटी के लोगों के बीच जाता हूं तो लगता है मेरी यह जिंदगी नहीं हो सकती। जो दिल में है वो करना चाहिए।
'बिग बॉस में जाने के लिए पत्नी ने मन किया'
सबसे पहले बदलावों की बात करते हैं, आपके रहन-सहन में इस प्रसिद्धि-पैसे ने क्या बदलाव किए?
जवाब - बहुत लोग मिलने आते हैं इसलिए पत्नी को खाना ज्यादा बनाना पड़ता है। दूसरा बदलाव मेरे पहनावे में हुआ कि शर्ट तो पहले जैसी ही होती है लेकिन अब उसे इन करके पहनने लगा हूं।
बिग बॉस ने आपको आमंत्रित किया था, आपने मना कर दिया, क्यों?
जवाब - पत्नी ने उसके कुछ एपिसोड देख लिए थे कि उनमें क्या-क्या होता है? वो उससे डर गई थी इसलिए उसने मना कर दिया था। (धीरे से हंसते हुए) लेकिन मेरा थोड़ा मन तो था जाने का।
आपने हनुमानजी से 1 करोड़ रुपए जीतने की मन्नत मांगी थी और पूरा होने पर सोने की परत वाली चांदी की गदा चढ़ाने की भी बात कही थी, क्या हुआ? कैसी गदा बनवाई?
जवाब - अभी नहीं चढ़ाया, कुछ दिन बाद चढ़ाऊंगा। गदा बनवाने ऑर्डर दे दिया है। (हंसते हुए) अब हनुमानजी को चढ़ाना है तो भारी तो होगी।
इनाम की राशि को सबसे पहले कहां खर्च किया? पत्नी को कुछ तोहफा दिया।
जवाब - कुछ कर्ज चुकाना था, वो चुकाया और जमीन खरीदी। पत्नी को तो कुछ नहीं दिया। वैलेंटाइंस डे पर भी कुछ कार्यक्रमों के चलते बाहर था।
केबीसी और बाकी रियल्टी शो में क्या अंतर पाते हैं। सभी के विजेताओं को ज्यादातर भुला दिया जाता है, आपके मामले में ऐसा नहीं हुआ।
जवाब - मैं केबीसी का विजेता हूं। केबीसी सबसे अलग है क्योंकि इसमें अमिताभ जी हैं और इसमें ज्ञान की परीक्षा होती है। इसलिए बाकी शो से इसकी तुलना संभव ही नहीं है।
जब लोग आपसे मिलते हैं तो उनका आपसे पहला सवाल क्या होता है?
जवाब - (जोर से हंसते हुए) सिर पर पानी क्यों डाला था? (5 करोड़ जीतते ही सुशील कुमार ने पानी से भरा गिलास अपने सिर पर उड़ेल लिया था)
आईएएस की तैयारी करने का विचार था, कहां तक पहुंची तैयारी?
जवाब - अभी तो कार्यक्रमों में इतना व्यस्त हूं कि समय ही नहीं मिला। लगता है 2013 में ही कुछ हो पाएगा।
व्यक्तित्व की खास बातें
* बेहद मिलनसार और हंसमुख स्वभाव। पूरी सहजता के साथ हर छोटे-बड़े
से मिलते हैं और हाल-चाल पूछना नहीं भूलते।
* मोबाइल नंबर सबको बताते हैं वो भी हिन्दी में।
* कपड़े केबीसी के दौरान पहने गए कपड़ों की तरह एकदम साधारण।
* शेव भी समय मिलने पर करते हैं।
कौन बनेगा करोड़पति-५ में ५ करोड़ रुपए जीतने वाले एकमात्र विनर सुशील कुमार शनिवार को भोपाल आए। उन्होंने सिटी भास्कर से खास बातचीत में जीतने के बाद सपनेंवाली जिंदगी जीने के पहलू सांझा किए।
अमित पाठे . भोपाल
पांच करोड़ी सुशील, जैसा हमने उन्हें केबीसी-५ में देखा था आज भी बिल्कुल वैसे ही। वे शनिवार को एक सामाजिक कार्यक्रम में शिरकत करने इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन से भोपाल आएं। वही अंदाज, हेयरस्टाइल और ड्रेसिंग। फॉर्मल स्काई ब्लू शर्ट पर हाफ स्लीव स्वैटर और ब्लैक ट्राउजर। और सबसे खास उनका वही हसमुख चेहरा और डाउन-टू-अर्थ मिलनसार व्यवहार। केबीसी-५ में ५,००,००,००० रुपए जीतने वाले व्यक्ति से जब कार्यक्रम में कोई अपरिचित कहता है- 'का हो सुशील बाबू का हाल बा...' (क्या सुशील बाबू क्या हाल है) तो करोड़पति और मनरेगा के ब्रांड ए बेसडर सुशील खिलखिला कर जवाब देते हैं- 'ठीक बानू' (ठीक है)। सुशील और उनकी जिंदगी में कोई बदलाव आए भी है? आइए जानते हैं-
केबीसी में 'पंचकोटि महामनी' बनने के बाद सपने को जीना कैसा लग रहा है? (पांच करोड़ संस्कृत में पंचकोटि)
जवाब- ये सपनें में जीने की तरह है। इतनी तकलीफों, संघर्षों, हार आदि के बाद ये मुकाम पाना ईश्वर के सहयोग से ही संभव हुआ।
जवाब- बिग बी से मिलना तो हर किसी का सपना होता है मैंने उन पलों को भरपूर दिल से जिया है। पांच करोड़, बिग बी से मुलाकात से किसी तरह ज्यादा नहीं है।
केबीसी में जाने से पहले क्या कुछ सोच रखा था?
जवाब- नहीं, कुछ भी नहीं सोचा था। २५ लाख की उ मीद थी लेकिन ५० लाख से उपर की सोच ही नहीं थी। जीतने के ४५ दिन बाद लगभग १.५ करोड़ कटने के बाद सारा प्राइज मनी मिल गया।
जीतने के बाद अपना कौन सा ड्रीम पूरा किया?
जवाब- मेरा घर बहुत टूटा-फूटा था उसकी मर मत करवाई। इसके बाद मोतिहारी में २५ लाख रुपए की जमीन खरीदी। रकम का बड़ा हिस्सा अपने माता-पिता के नाम जमा करवा दिया। घर के किसी सदस्य और पत्नि ने कोई विशेष मांग नहीं की। मैंने भी अपने लिए कुछ नहीं खरीदा। मेरी पगार चार अंकों में ६००० रुपए थी इसलिए हर बार जीतने के बाद चैक में जीरो गिन रहा था।
मिडिल क्लास के आइडल के नाते क्या मैसेज देंगे?
जवाब- दिखावा करना मुझे पसंद नहीं है, मैं हाई सोसायटी के लोगों के बीच जाता हूं तो लगता है मेरी यह जिंदगी नहीं हो सकती। जो दिल में है वो करना चाहिए।
'बिग बॉस में जाने के लिए पत्नी ने मन किया'
श्रद्धा जैन . भोपाल
सबसे पहले बदलावों की बात करते हैं, आपके रहन-सहन में इस प्रसिद्धि-पैसे ने क्या बदलाव किए?
जवाब - बहुत लोग मिलने आते हैं इसलिए पत्नी को खाना ज्यादा बनाना पड़ता है। दूसरा बदलाव मेरे पहनावे में हुआ कि शर्ट तो पहले जैसी ही होती है लेकिन अब उसे इन करके पहनने लगा हूं।
बिग बॉस ने आपको आमंत्रित किया था, आपने मना कर दिया, क्यों?
जवाब - पत्नी ने उसके कुछ एपिसोड देख लिए थे कि उनमें क्या-क्या होता है? वो उससे डर गई थी इसलिए उसने मना कर दिया था। (धीरे से हंसते हुए) लेकिन मेरा थोड़ा मन तो था जाने का।
आपने हनुमानजी से 1 करोड़ रुपए जीतने की मन्नत मांगी थी और पूरा होने पर सोने की परत वाली चांदी की गदा चढ़ाने की भी बात कही थी, क्या हुआ? कैसी गदा बनवाई?
जवाब - अभी नहीं चढ़ाया, कुछ दिन बाद चढ़ाऊंगा। गदा बनवाने ऑर्डर दे दिया है। (हंसते हुए) अब हनुमानजी को चढ़ाना है तो भारी तो होगी।
इनाम की राशि को सबसे पहले कहां खर्च किया? पत्नी को कुछ तोहफा दिया।
जवाब - कुछ कर्ज चुकाना था, वो चुकाया और जमीन खरीदी। पत्नी को तो कुछ नहीं दिया। वैलेंटाइंस डे पर भी कुछ कार्यक्रमों के चलते बाहर था।
केबीसी और बाकी रियल्टी शो में क्या अंतर पाते हैं। सभी के विजेताओं को ज्यादातर भुला दिया जाता है, आपके मामले में ऐसा नहीं हुआ।
जवाब - मैं केबीसी का विजेता हूं। केबीसी सबसे अलग है क्योंकि इसमें अमिताभ जी हैं और इसमें ज्ञान की परीक्षा होती है। इसलिए बाकी शो से इसकी तुलना संभव ही नहीं है।
जब लोग आपसे मिलते हैं तो उनका आपसे पहला सवाल क्या होता है?
जवाब - (जोर से हंसते हुए) सिर पर पानी क्यों डाला था? (5 करोड़ जीतते ही सुशील कुमार ने पानी से भरा गिलास अपने सिर पर उड़ेल लिया था)
आईएएस की तैयारी करने का विचार था, कहां तक पहुंची तैयारी?
जवाब - अभी तो कार्यक्रमों में इतना व्यस्त हूं कि समय ही नहीं मिला। लगता है 2013 में ही कुछ हो पाएगा।
व्यक्तित्व की खास बातें
* बेहद मिलनसार और हंसमुख स्वभाव। पूरी सहजता के साथ हर छोटे-बड़े
से मिलते हैं और हाल-चाल पूछना नहीं भूलते।
* मोबाइल नंबर सबको बताते हैं वो भी हिन्दी में।
* कपड़े केबीसी के दौरान पहने गए कपड़ों की तरह एकदम साधारण।
* शेव भी समय मिलने पर करते हैं।
Wednesday, February 15, 2012
Friday, February 10, 2012
Wednesday, February 8, 2012
Sunday, February 5, 2012
Friday, February 3, 2012
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