भारत भवन की 30वीं वर्षगांठ समारोह की आखिरी शाम नाटक 'मोहे पिया' का मंचन
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संबंधों और सत्ता की राजनीति : 'मोहे पिया' नाटक आर्य-अनार्थ और स्त्री-पुरुष के बीच के भेद और संबंधों की राजनीति के साथ, सत्ता की राजनीति की नई व्याख्या प्रस्तुत करता है। भीम और घटोत्कच उस समय वन में मिल जाते हैं, जब घटोत्कच की मां हिडिंबा पुत्र को भक्षण के लिए एक मानव ले आने का आदेश देती है। घटोत्कच एक ब्राह्मण परिवार के मंझले पुत्र को धर लेता है। यह मंझोला पुत्र भीम की शरण में जाता है और भीम स्वयं घटोत्कच की मां के लिए आहार बनना स्वीकार करता है, लेकिन वह इसके लिए पराक्रम परीक्षा की मांग करता है। इसे जीतकर घटोत्कच, भीम को मां के आहार के लिए पेश कर देता है। हिडिंबा पति भीम को पहचान लेती है। यहां संबंधों व सत्ता की राजनीति जीतती है, भीम घटोत्कच को युद्ध में शामिल होने के लिए प्रलोभित कर लेता है। सत्ता के चौसर पर घटोत्कच का किरदार संजय शेजवाल के अभिनय के शौर्य से काफी जंचा। भीम रूप में सुहास सूर्यवंशी ने उसकी गाथाओं के साथ न्याय कर मंच पर कमाल दिखाया। हिडिंबा के किरदार में वागेश्री जोशीराव ने मां के भावों की उम्दा अभिव्यक्ति की। संगीत निर्देशन भी नाटक के निर्देशक प्रो. केंद्रे ने ही नाम था जिसे प्रशांत कदम, अभिषेक और प्राची कथले ने प्रस्तुति प्रवाह दिया। इस मौके पर निर्मात्री गौरी केंद्रे की उपस्थिति भी रही। |
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Monday, February 20, 2012
नाटक 'मोहे पिया'- योद्धाओं के शौर्य की दास्तान
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