ई▐┌कुछ दिनों पहले घर था। भांजे-भांजी के लिए ईद वाली सेवईयां लाया। उन्होंने बड़े चाव से खायी। उन नवकल्पितों को नहीं पता कि धर्म क्या और उसके अलग-अलग खानपान क्या।
मुझे भी बचपन में यह नहीं पता था और मैं भी चाव से सेवईयां खाता था। बड़े होने के साथ हमें दुनियादार बनाया दिया गया।
अब हम खान-पान में भी धर्म आदि का गुणा-भाग करने लगते है। कितना अच्छा होता है जब हम एक-दूसरे के धर्म, जाति का सांस्कृतिक आदान-प्रदान करते हैं। मैं दोनों ईद मनाता हूं और इन्हें मनाने वाले बंधुओं के साथ साझा भी करता हूं।
हमें अपनी ईद मुबारक
No comments:
Post a Comment